Saturday, December 24, 2016

गजकेसरी योग (Gaja Kesari Yoga)

गजकेसरी योग (Gaja Kesari Yoga) 

कुंडली के वह योग, जो व्यक्ति को बनाते हैं धनवान !
जानिये कैसे बनता है गजकेसरी योग ? और "गजकेसरी योग" फलादेश
गुरु-चन्द्र का एक दुसरे से केन्द्र में होना गजकेसरी योग (Gaja Kesari Yoga) का निर्माण करता है. गजकेसरी योग व्यक्ति की वाकशक्ति में वृ्द्धि होती है. इसकी शुभता से धन, संमृ्द्धि व संतान की संभावनाओं को भी सहयोग प्राप्त होता है. गुरु सभी ग्रहों में सबसे शुभ ग्रह है.
इन्हें शुभता, धन, व सम्मान का कारक ग्रह कहा जाता है. इसी प्रकार चन्द्र को भी धन वृ्द्धि का ग्रह कहा जाता है. दोनों के संयोग से बनने वाले गजकेसरी योग (Gaja Kesari Yoga) से व्यक्ति को अथाह धन प्राप्ति की संभावनाएं बनती है. परन्तु गजकेसरी योग (Gaja Kesari Yoga) से मिलने वाले फल सदैव सभी के लिये एक समान नहीं होते है.
अनेक कारणों से गजकेसरी योग (Gaja Kesari Yoga) के फल प्रभावित होते है. कई बार यह योग कुण्डली में बन रहे अन्य योगों के फलस्वरुप भंग हो रहा होता है. तथा इससे मिलने वाले फलों में कमी हो रही होती है. परन्तु योगयुक्त व्यक्ति को इसकी जानकारी नहीं होती है.
गजकेसरी योग का फलादेश करते समय किस प्रकार की बातों का ध्यान रखना चाहिए. आईये यह जानने का प्रयास करते है.


फलादेश के सामान्य नियम

फलादेश के सामान्य नियम
यह जानना बहुत जरूरी है कि कोई ग्रह जातक को क्या फल देगा। कोई ग्रह कैसा फल देगा, वह उसकी कुण्डली में स्थिति, युति एवं दृष्टि आदि पर निर्भर करता है। जो ग्रह जितना ज्यादा शुभ होगा, अपने कारकत्व को और जिस भाव में वह स्थित है, उसके कारकत्वों को उतना ही अधिक दे पाएगा।

किसी कुण्‍डली में क्‍या संभावनाएं हैं, यह ज्‍योतिष में योगों से देखा जाता है। भारतीय ज्‍योतिष में हजारों योगों का वर्णन है जो कि ग्रह, राशि और भावों इत्‍यादि के मिलने से बनते हैं। हम उन सारे योगों का वर्णन न करके, सिर्फ कुछ महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों का वर्णन करेंगे जिससे हमें पता चलेगा कि जातक कितना सफल और समृद्ध होगा।